वित्त के महत्व को समझाइये
"वित्त व्यवसाय की आत्मा पहियों का तेल और हड्डियों का मज्जा है।"
- व्यवसाय को प्रारंभ करने के लिए
- व्यवसाय को बनाए रखने में सहायक
- मंदीकाल में बचने में सहायक
- नई योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में सहायक
- जोखिमों से बचने में सहायक
- प्रतिस्पर्धा में बने रहने में सहायक
- संकट के समय सहायता प्रदान करने में सहायक
व्यवसाय को प्रारंभ करने के लिए
व्यवसाय को बनाए रखने में सहायक
वित्त के बिना व्यवसाय की कल्पना नहीं की जा सकती है। व्यवसाय को प्रारंभ करने से लेकर उसे निरंतर गतिमान बनाए रखने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है।
मंदीकाल में बचने में सहायक
मंदीकाल के समय यदि किसी व्यवसायी के पास पर्याप्त वित्त उपलब्ध होते हैं तो उन्हें मंदी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और उनका व्यवसाय निरंतर चलता रहता है।
नई योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में सहायक
वित्त के माध्यम से व्यवसायी कई नए-नए योजनाओं का लाभ भी प्राप्त कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति के पास वित्त की पर्याप्तता है तो वह छूट या नए योजनाओं का फायदा उठाकर कम मूल्य में ही वस्तुओं का क्रय कर लेता है, जिससे उसे भविष्य में अधिक लाभ प्राप्त होता है।
जोखिमों से बचने में सहायक
वित्त व्यवसायी को व्यवसाय में निकट भविष्य में आने वाले सभी जोखिमों से बचाने में सहायक होता है, जैसे - माल जल जाना, माल चोरी हो जाना आदि।
प्रतिस्पर्धा में बने रहने में सहायक
वित्त व्यवसायी को प्रतिस्पर्धी बाज़ार में अपनी पहचान बनाए रखने में सहायक होता है। पर्याप्त वित्त के माध्यम से व्यवसायी गुणवत्ता सुधार, ग्राहक सेवा एवं नवाचार में निवेश कर सकता है, जिससे उसकी प्रतिस्पर्धा में पकड़ मजबूत होती है।
संकट के समय सहायता प्रदान करने में सहायक
वित्त संकट के समय व्यवसायी के लिए एक सहारा होता है। आपात स्थिति में व्यवसाय के पास वित्तीय संसाधन होने से उसे कर्ज, अतिरिक्त श्रम, या अन्य खर्चों का वहन करने में मदद मिलती है, जिससे व्यवसाय संकट काल में भी स्थिर रहता है।