किसी पर्यावरण परिवेश के विभिन्न जीवों की परस्पर निर्भरता का अध्ययन करना


 किसी पर्यावरण परिवेश के विभिन्न जीवों की परस्पर निर्भरता का अध्ययन करना





पर्यावरण परिवेश के  विभिन्न जीवों की परस्पर निर्भरता :-

  1. प्रगुणन यानि प्रजनन की तीव्रतम दर
  2. जीवन के लिए संघर्ष 
  3. प्राकृतिक वरण
  4. बदलते वातावरण के प्रति अनुकूल

किसी पर्यावरण परिवेश के विभिन्न जीवों की परस्पर निर्भरता का अध्ययन
 किसी पर्यावरण परिवेश के विभिन्न जीवों की परस्पर निर्भरता का अध्ययन

  1.  प्रगुणन यानि प्रजनन की तीव्रतम दर

प्रजनन जीवों का  स्वाभाविक प्राकृतिक लक्षण है . क्योंकि इसके  द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी अपने एवं अपने जाति की उपस्थिति बनाए रखते हैं तथा इसके लिए वह अधिक संख्या में संतानों को पैदा करती है।

 उदाहरण

एक तारा मछली 1,00,000 अंडे देती है किंतु प्रकृति में उपस्थित जीवो के द्वारा उनका भक्षण किया जाता है तथा प्रकृति परिवर्तन के कारण  भी वे मृत हो जाते हैं अतः तारा मछली नाम मात्र के लिए प्रकृति में उपस्थित रहते हैं। इससे प्रकृति का संतुलन बना रहता है। 



2. जीवन के लिए संघर्ष

                    प्रगुणन  की तेज दर के कारण जीवो द्वारा प्रजनन के फलस्वरुप अत्यधिक संख्या में संततियो को पैदा किया जाता है।  जो कि रेखा गणितीय अनुपात (geomatric ratio) में बढ़ते हैं। लेकिन प्रकृति में जीवन के लिए आवश्यक वस्तुएं सीमित मात्रा में उपलब्ध रहती हैं। ऐसी स्थिति में प्रत्येक सदस्य को स्वयं की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरे सदस्यों से संघर्ष करना पड़ता है।
               जीवों को तीन प्रकार के संघर्ष से सामना अपने जीवन को बचाए रखने के लिए करना पड़ता है :-


  • स्वजातीय संघर्ष (Intraspecific struggle)
  • अंतरजातीय संघर्ष (Interspecific struggle)
  • वातावरणीय संघर्ष (Environment struggle)

प्राकृतिक वरण

                    जीवन संघर्ष के फलस्वरूप अधिक सफल जीवन व्यतीत करने वाले जीव ही सामर्थ्य एवं योग्य हैं तथा ये ही प्रकृति में जिंदा रहकर अपनी संतानों को पैदा करते हैं। 
                  डार्विन ने अपने इसी विचार को 'समर्थ का जीवत्व की संज्ञा दी है। इस विचार के अनुसार चुंकि योग्यतम जीव ही जिंदा रहता है तथा अयोग्य जीव मृत हो जाता है। 

बदलते वातावरण के प्रति अनुकूलन

                 वातावरण की स्थितियां समय के साथ परिवर्तित होती रहती हैं। वातावरणीय परिवर्तनों के साथ-साथ जो जीव अपने आप को अनुकूलित कर उसके योग्य बना पाता है वही जिंदा रहता है। अन्यथा उसकी मृत्यु हो जाती है। 

2 टिप्पणियाँ

Please do not spam we are commited to give you knowledgeable things.

और नया पुराने