लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग में अंतर

लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग में अंतर

लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं :-
क्र लघु उद्योग कुटीर उद्योग
1. इसमें श्रमिकों के माध्यम से कार्य किया जाता है। इसमें घर के सदस्यों के द्वारा ही कार्य किया जाता है।
2. इसमें मशीनों की प्रधानता होती है। इसमें हस्तक्रिया की प्रधानता होती है।
3. यह बड़े बाजार की माँग की पूर्ति करती है। यह स्थानीय बाजार की माँग की पूर्ति करता है।
4. इसमें अधिक पूँजी का विनियोग किया जाता है। इसे कम पूँजी का निवेश करके प्रारंभ कर सकते हैं।
5. इसमें उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसमें उत्पादन छोटे पैमाने पर किया जाता है।
6. लघु उद्योग में कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है। कुटीर उद्योग में परिवार के सदस्यों द्वारा साधारण कौशल से कार्य किया जाता है।
7. लघु उद्योग का संचालन एक निश्चित व्यवसाय स्थल पर होता है। कुटीर उद्योग का संचालन घर पर ही किया जाता है।
8. लघु उद्योग का संचालन नियमों और शासकीय मानदंडों के अधीन होता है। कुटीर उद्योग का संचालन स्वतंत्र रूप से और कम नियमों के अधीन होता है।
9. लघु उद्योग का वित्त पोषण विभिन्न वित्तीय संस्थानों द्वारा किया जा सकता है। कुटीर उद्योग का वित्त पोषण स्वयं के संसाधनों से होता है।
10. लघु उद्योग में अक्सर उत्पाद का निर्यात भी किया जाता है। कुटीर उद्योग में उत्पाद का निर्यात बहुत ही सीमित या स्थानीय स्तर पर होता है।
11. लघु उद्योग में कार्य विभाजन होता है। कुटीर उद्योग में कार्य विभाजन की अपेक्षा नहीं होती है, सभी कार्य एक ही व्यक्ति या परिवार द्वारा किए जाते हैं।
12. लघु उद्योग में उत्पादन में नवीन तकनीकों का प्रयोग होता है। कुटीर उद्योग में पारंपरिक तकनीकों का उपयोग होता है।
13. लघु उद्योग में आर्थिक जोखिम अधिक होता है। कुटीर उद्योग में आर्थिक जोखिम अपेक्षाकृत कम होता है।

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