पार्षद अंतर-नियम

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पार्षद अंतर-नियम (Corporate Bylaws) एक संगठन के भीतर संचालन के नियम और नीतियों का सेट है, जो पार्षद बोर्ड और अधिकारियों की जिम्मेदारियों को परिभाषित करता है।

परिभाषा

पार्षद अंतर-नियम (Corporate Bylaws)  संगठन के अधिकारियों, निदेशकों, और शेयरधारकों की भूमिका और अधिकारों का ब्योरा होता है।

पार्षद अंतर-नियम का अर्थ

अंतर-नियम एक प्रकार के नियम होते हैं जो किसी कंपनी के आंतरिक प्रबंधन, निर्णय लेने की प्रक्रियाओं, और संगठनात्मक ढांचे (Organizational structure) को स्पष्ट करते हैं।
पार्षद अंतर-नियम
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अंतर-नियमों का महत्व

  • संगठनात्मक संरचना को व्यवस्थित करना: यह कंपनी की आंतरिक संरचना को स्पष्ट करता है।
  • जवाबदेही में सुधार: प्रत्येक सदस्य की भूमिका स्पष्ट करने में सहायक।
  • कानूनी सुरक्षा: यह कंपनी को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है और विवादों का निपटारा करता है।
  • आपसी सहमति: अंतर-नियम सभी सदस्यों को एक साथ निर्णय लेने में सहायक होते हैं।

पार्षद अन्तर नियम की विशेषताएँ

  1. पार्षद अंतर्नियम कंपनी अधिनियम एवं पार्षद सीमानियम दोनों के अधीन होता है। 
  2. इसे कंपनी के समामेलन के समय रजिस्ट्रार के कार्यालय में जमा करना पड़ता है। 
  3. पार्षद सीमानियम की भाँति पार्षद अंतर्नियम भी कंपनी का एक सार्वजनिक प्रलेख (public document) माना जाता है जो जनता के निरीक्षण एवं अध्ययन हेतु सदैव उपलब्ध रहता है।
  4. यह कंपनी के सदस्यों तथा संचालक मण्डल के पारस्परिक संबंधों, अधिकारों, कर्तव्यों एवं दायित्वों को परिभाषित करता है।

कॉर्पोरेट ढांचे में भूमिका

  • निर्णय लेने में सहायक: यह नियम किसी भी निर्णय को वैधानिक बनाने में सहायक होते हैं।
  • संचालन में एकरूपता: सभी सदस्य इन्हीं नियमों का पालन करते हैं जिससे संचालन में समानता बनी रहती है।
  • संघर्ष समाधान: यदि किसी निर्णय पर विवाद हो तो अंतर-नियम के आधार पर हल किया जाता है।

निष्कर्ष

पार्षद अंतर-नियम कंपनी के संचालन का आधार होते हैं, जो जवाबदेही और कानूनी सुरक्षा प्रदान करते हैं। इनका पालन कंपनी के सफल संचालन और अनुशासन के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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